Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ कुंदकुंदाचार्य चरित्र. धर्मी हता एवं शिला लेखोपरथी समजाय छे, तेवीज रीत रामपुताना, गुजरात-काठीयावाट मातमां जैनानुं पणुं प्रारल्य तु एवं इतिहासपरथी देखाय छे. आ राजाभए सार्वभौमत्व माटे अथवा राज्य माटे प्रयत्ना न कर्ता होवाथी तेमना संबंधे कदाचित् इतिहासकारोथी अज्ञात रहेवायुं हमे ए एक कारणएटले “जितो रागपादयोः येन स जिनः" अर्थात जैन लोक पोताना मनने जीतीने काम क्रोधादि मनोविकार रिमोने निर्बन्त्र करनार त्यारे तेने ( कदाचीत् ) राज्यनो लोभ क्यांधी होय ! होय तो तेमो पोतानुं राज्य दया अने न्यायधी पालन फरीने वृद्धावस्थामां दीक्षा लईने पोताना पुत्रने राज्य भारता होत. आनां सारं उदाहरणो इसवीसन पछीना हवार दम मालम पडशे. खंडेलपुरना राजा जिनसेन - जेणे महा पुराण रच्तुं तेनुं, तेमज मंदसोर, पटना वगेरे स्थळोना राज्योनां आवाज उदाहरण मळी आवशे. आकारणी कदाचिन इतिहासकारोए तेओने अज्ञात रहेवा दीघा हो; आ बीजुं कारण. सिवाय जैनोना अंतिम तीर्थंकर महावीर स्वामीना निर्वाणपद पाम्या पी जैनना इसवीसन पछी भेळववानी भाशा साम्राज्यनुं शरणं कमी कमी थतुं गयुं तेमज हजार वर्ष पछी तेभए स्वराज्य

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61