Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 55
________________ कुंदकुंदाचार्य चरित्र. तुए दागीना घाल्या छे अने खोटो मत स्थापित कर्यो छे; त्यारे शक होय तो तेनो बंदोबस्त जल्दी करवो जोइए अने खरेखर भद्रबाहु पछी श्वेतांरर लोक अने मुनि राजाश्रित हता तेथी मनमान्यु पोतानु वर्तन करवा लाग्या कुंदकुंद आचार्य सरखो जिनसिंह चोगरदम गर्जतो होवाथी लोकना मनमां एवी भ्रांति उत्पन्न थइ के " दिगंबर अने श्वेतांबर एकज छे. आटलं तो नहि, पण कळी श्वेतांवर पूर्वनो छे अने दिगंबरनी उत्पत्ति श्वेतांबर पछी थइ छे." आ प्रमाणे लोकमां असंतोष उत्पन्न थवाथी तेओ उपर प्रमाणे तकरार कुंदकुंद आचार्य पासे लाव्या अने खरूं कोण एनो प्रथम निर्णय करवा माटे अने पछी असत्यबुं खंडन करवा माटे विनति करी. पछी श्वेतांबरी लोकने श्री नेमिनाथ निर्वाणना-क्षेत्र गीरनार पर्वत उपर वाद करवानो छे एवं जणावी त्यां दिगंबर लोकने मेगा कर्या अने त्यां भेगा थयेला संघर्नु संघ-पतित्व कुंदश्रेष्ठीने आपी सर्व दिगंबर मंडळी गिरनार पर गइ अने श्वेतांबर लोक पण पोतपोताना गुरुने लइने त्यां आल्या. जेवी रीते माळवामाथी अने वीजा भागमाथी दिगंबर लोकनो संघ लइ कुंदकुंदाचार्य गिरनार पर गया तेवीज सेते गुजरातमांथी महिचंद्र, जिनचंद्रादि अनेक साधुओ साथे लइ

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