Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 19
________________ कुंदकुंदाचार्य चरित्र. जैन ग्रंथमां वे चंद्रगुप्तनुं वर्णन छे, ते वंने संबंधी उल्लेख क्रमें क्रमे करवामा आवशे. आ उपरथी वे चंद्रगुप्त नुदाजुदा थई गया होवा नोईए ए, अनुमान नीकळे छे, पण ते नछी करवाने आथी वीज प्रमाणो बोईए. पूर्व पाटलीपुत्र (पटणा)मा 'नंद' ए नामनो राजा राज्य करतो हतो तेने शकट, नंद, सबंधु अने काची ए नामना चार मंत्री हता. तेओनी साथे राजा आनदथी राज्य करतो हतो. एक वखत ते राजा पर शत्रुए सवारी करी. राजानी पुष्कळ सेना होय तोन आ प्रसंग लडवानो छे, तेथी राजाए शकट' मंत्रीनी सलाह पुछी, त्यारे शकटे राजाने कयु के-हुँ सैन्य पार्छ फेरवु, पण मने ले गमे ते करवानी परवानगी आपो'. राजाने या वात पसद पडी अने तरतज शकटे राजा पासेथी नीकळी कोशागार [तिजोरी]माथी पुष्कळ द्रव्य आपी तेनुं सैन्य पार्छ वाळ्यु. पछी एक दिवसे राजाए पोताना कोशागारनी तपास करी, तो द्रव्य थोडं लाग्यु, त्यारे राजाए खजानचीने ते बावत पुछतां तेणे सर्व हकीकत निवेदन करी. तेथी राजाने क्रोध आल्यो भने तेणे शकटने तेना छैयां छोकरां साथे केदमां नाख्यो, त्यां तेना कुटुंबनां सर्व माणसो दुःखी थई गतप्राण थया अने फक्त शकट एकलो रह्यो. पुनः ते नंद अनापर. शत्रुए.

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