Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 50
________________ दिगंबर जैन. पछी स्वतः कुंदकुंद मुनि उठया, अने तेने जे जे शंका हती ते ते त्यां कही बतावी. श्वेतांवरोनी उत्पत्ति विषयनुं वर्णन कही बताव्यु तेवीज रीते कर्णाटकमां आवेला मुडचिद्री, श्रवण बेळगुलनी, गोमटेश्वरानी मूर्ति विषये चतुर्थकालनी स्थिति; तेमज गिरनार पर्वत उपर आवेली चंद्रगुफानुं वर्णन तेमणे जाप्यु सिवाय जे काह शंका हती तेनुं मुनिए निवेदन कर्यु अने समाधान पण प्राप्त कर्तुं त्यां विदेह क्षेत्रमां कुंदकुद मुनिने बधा मळी आठ दिवस व्यतित थया. सर्व रचना जोइने तेणे पोताने स्वतः सवन्य मानी लोधो. ४४ त्या एक दिवस पद्ममरथ राजाए कुंदकुंद मुनिने आहार लेवानी विनंति करी. तेना उत्तरमां मुनिए कहां के अमारुं क्षेत्र जुदुं छे तो अमे परक्षेत्रमांधी केवी रीते आहार लइ शकीए ? तेम करवुं मुनिक्रिया माटे योग्य नथी. आ उत्तर सांभळी राजाए तेमनी स्तुति करी अने खड्गधारापेक्षाए मुनिक्रिया तीक्ष्ण छे अने तमे ते पाळी तेथी तमने धन्यवाद घटे छे. तेटली मुदतमां सुनिए कंइ विद्यापठन कर्यु. चार युग भने अनुयोगनुं संपूर्ण वर्णन जाण्यु. पछो पूर्ण शंका रहित थया अने घणुज विशेष ज्ञान मळवा कुंदकुंद मुनि पूर्ववत श्रीमंदरस्वामीने नमस्कार करी सर्वनी रजा लह चे देवोनी साथै विमानारुढ

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