Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 21
________________ कुंदकुंदाचार्य चरित्र. १६ मां काई सार नथी एवु समनी शकटे जिनदीक्षा लीवी. पछी शास्त्र पठनमा पोतानो सर्वकाळ छेवट सुधी गाळ्यो. अही सुधी शकटतुं आ अल्प चरित्र, आ परथी एक तो शकट जैनी हतो एबुं ठरे छे, बीजु शाकटायन व्याकरण नामनो जे ग्रंथ छे,तेनो कतो पण आज (शकट) हतो एवु अनुमान काढी शकाय छे. आ वात वे हजार वर्ष पूर्वेनी छे, त्यारे उपरना अनुमान बहुधा खराज छे एवं लागे छे शकटे, चाणक्ये आणेला चंद्रगुप्तने गादीपर बेसाडवाथी ते राज्य उत्तम रीतिथी चालवा लाग्युं ते जैनधर्मी हतो, एवो जैन ग्रंथमाथी उल्लेख मळी आवे छे आ प्रथम 'चंद्रगुप्त'. तेना पुत्र जे बंधुसागर तेणे पोताना पिता पछी राज्य चलावी छेवटे पोताना पुत्र 'अशोक' ने राज्य सोपी पोते दीक्षा लीधी. आनो धर्म संवधी काइ स्पष्ट उल्लेख नथी अशोक सर्व कळामां निपुण हतो तेथी तेणे सर्व राजा अने शत्रुने जीती पुष्कळ देशो कबजे कर्या. तेणे पोताना बुनाळ नामक पुत्रने विद्वान वनाववा माटे एक गुरु पासे मोकल्यो. ते गुरुए तेने नित्य शाल्योदन खबरावी अध कर्यो. पछी अशोक ज्यारे भूमंडळ फरी आव्यो त्यारे पुत्रनी स्थिति जोई तेने खेद थयो त्यारे तेणे पोताना पुत्रने एक सुदर राजकन्या साथे लग्न करावी आप्यु. पछी ते 1114

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