Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 12
________________ दिगंबर जैन. वाडमयनुं वळ आगळ कोण लावे छ । पोतानां वाळकोनी अव नति अने पारकानी उन्नति करवी एटली निःस्पृहता बतावता जितस्वार्थ माता पिता कोई ठेकाणे पण कोइए जोया छ ? आवीज जैन वाडमयनी स्थिति छ । त्यारथी ते आज सुधी आपणे जैन लोकोनी उन्नतिनी खरी दिशा समनता नथी तेथी अथवा प्रस्तुत देश, काल, वर्तमान (क्षेत्र, काल, भाव) ने अनुसरी शुं करवू जोइए ते आपणा लक्षमा (मापणी सामाजिक परिस्थितिने लइने) आवतुं नथी तेथी मापणने खरो मार्ग मळ्यो नथी; पण आज पोतानी, पोताना समाजनी, पोताना थर्मनी अने पोताना देशनी उन्नति करनार जैनोए शुं करवू जोइए, वे दिशा देर्शाववामां श्रेय रहेलं छे एQ आपणा देश बंधुना मनमा होवू जोइए, पण तेओना मनमा आ संबंधी घणो थोडोज विचार होय छे. पोतानी रोटलीपर घी नांखो एटले 'यी चोपडा' एवी मोटी वुमो पाडी तओ बोले छे, तेथी तेज रीते वीजा पण पोतानुं मौन्य छोडी तेओर्नु अनुकरण करे. पण आनी थोडी घणी पण दाद लागशे ! तनी स्थितिनुं आपणे अनुकरण करवू जोइए; अने आजना निःस्पृही अने दयालु अमेज सरकारनुं राज्य होवाथी भने तेमनी राजनीति अनुकरणीय होवाथी पूर्वना

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