Book Title: Kundkundacharya Charitra
Author(s): Mulchand Kishandas Kapadia
Publisher: Mulchand Kisandas Kapadia

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Page 14
________________ ८ दिगंबर जैन. " आव्यो छे. ज्यां निःस्पृहताए खरेखर वास कयों छे त्यां कोइ वखते पण - काळो ह्ययं निरवधिविपुला च पृथ्वी ॥ ( भवभूति.) आ उक्तिने अनुसरनार सत्यनोज विजय थया वगर रहेनार नथी. अस्तु, प्रस्तुत आ संबधे आटलुंज लखी हुं मुख्य विषय पर वकुं छं. ए आ उपर निर्दिष्ट करेला काळथी जैनेतरोने एटले जैन सिवाय अन्य लोकने अज्ञात रहेला अनेक पुरुष थह गया, में जुदुंज कही दीधुं छे. ते काळमां जैन धर्मना विद्वान शिरोरत्न पट्टाचार्योमां आद्य भट्टारक श्रीमान १००८ श्री कुंदकुंद आचार्य दिगंबर मुनि - जेणे, जैनोना वे पंथना दिगम्बर अने श्वेताम्बरमा प्रथम उत्पत्ति दिगम्बरोनी थह अने पछी श्वेतांवर उत्पन्न थया, ए वात ते काळनी समाजने दर्शावी आपी हती अने ते काळे समाजनी महान् सुधारणा करी हती तेओ थइ गया, तेमनुं संक्षिप्त चारित्र आज भारतवासी सर्व वाघवोनी समक्ष सादर रजु करूं छं. ते चरित्र लखवा पहेला अनोना अतिम तीर्थंकर श्री महावीर स्वामीना निर्वाणकाळथी ते श्री कुंदकुंदाचार्यनी उत्पत्ति थइ ते पर्यंतनी थोडी ऐतिहासिक मा -

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