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[११] निकालना कितना दुष्कर है। सर्प को या शत्रु को मारा जा सकता है किन्तु क्रोध रूपी सर्प शत्रु को मार भगाना दुष्कर है । ___ इसीलिए क्षमा को वीरता कहा गया है, वीरों का अलङ्कार कहा गया है। वीरों को ही क्षमा अलंकृत कर सकती है। दिनकर का अधो अंकित सूक्त वचन कितना सटीक है
क्षमा शोभती उस भुजंगको, जिसके पास गरल हो।
उसको क्या, जो दंतहीन, विषरहित विनीत सरल हो।' विजयवल्लभसूरि के अनुसार जो नम्र बनकर, सरल और शुद्ध होकर दूसरों के दोषों को क्षमा कर देता है एवं अपने अनुचित व्यवहारों के लिए क्षमा मांग लेता है, वह सच्चे अर्थों में वीर है। तिरुक्कूरलकार का कथन है कि मों की असभ्यता को चेहरे पर बिना एक सलवट लाये सहन कर लेना वीरता है। जो पीड़ा देने वालों को बदले में पीड़ा देते हैं, विद्वज्जन उन्हें सम्मान नहीं देते; किन्तु जो अपने शत्रओं को क्षमा कर देते हैं, वे स्वर्ण के समान बहुमूल्य माने जाते हैं । स्थानांगसूत्र में चार प्रकार के शूरवीरों का उल्लेख हुआ है, जिनमें क्षमाशूर सर्वप्रथम हैं।
महाभारत में इस सम्बन्ध में एक-दो महत्त्वपूर्ण पद्य मिलते हैं, जिसमें क्षमा को वीरता कहा गया है, कायरता नहीं । उसमें लिखा है
एकः क्षमावतां दोषो द्वितीयो नोपपद्यते । यदेनं क्षमया युक्तशक्तं मन्यते जनः ।। सोऽस्य दोषो न मन्तव्यः क्षमाहि परमं बलम् ।
क्षमागुणो ह्यशक्तानां, शक्तानां भूषणं क्षमा ।' अर्थात् क्षमाशील पुरुषों में एक ही दोष का आरोप होता है, दूसरे की तो सम्भावना ही नहीं है। वह दोष यह है कि क्षमाशील मनुष्य को लोग असमर्थ समझ लेते हैं । किन्तु क्षमाशील पुरुष का वह १. उद्धृत् बृहत् सूक्तिकोश, भाग ३. पृष्ठ. ३७. २. उद्धृत् खामेमि सव्वे जीवे, पृष्ठ ८. ३. तिरुक्कुरल, उद्धृत-तीर्थकर, अक्टबर, १८८३. ४. स्थानांग, ४. ३. ३१७. ५. महाभारत, उद्योगपर्व, ३०. ४८-४९. .
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