Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh

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Page 6
________________ प्रकाशक की ओरसे कसायपाहुड़के पाँचवें भाग अनुभाग विभक्तिको एक वर्ष पश्चात् ही प्रकाशित करते हुए हमें हर्ष होना स्वाभाविक है। यह भाग भी डोंगरगढ़के उदारमना दानवीर सेठ भागचन्द्र जी के द्वारा दिये गये द्रव्यसे ही प्रकाशित हुआ है और आगेके भाग भी उन्हींके द्रव्यसे प्रकाशित हो रहे हैं इसके लिये सेठ जी व उनकी धर्मपत्नी सेठानी नर्वदाबाई जी दोनों धन्यवादके पात्र हैं। सम्पादन आदिका भार पूर्ववत् पं० फूलचन्द जी सिद्धान्तशास्त्री और हम दोनोंने वहन किया है । प्रेस सम्बन्धी सब झझंटोंको पं० फूलचन्द्रजी ने उठाया है। एतदर्थ मैं पंडितजीका भी आभारी हूँ। काशीमें गङ्गा तट पर स्थित स्व. बाबू छेदीलाल जी के जिन मन्दिरके नीचे के भागमें जयधवला कार्यालय अपने जन्म कालसे ही स्थित है और यह स्व० बाबूसाहबके सुपुत्र बाबू गणेशदास जी और पौत्र बा० सालिगराम जी तथा बा० ऋषभचन्दजीके सौजन्य और धर्मप्रेमका परिचायक है, अत: मैं उनका भी आभारी हूँ। नया संसार प्रेसके स्वामी पं० शिवनारायण जी उपाध्याय तथा उनके कर्मचारियोंने इस भागका मुद्रण बहुत शीघ्र करके दिया, एतदर्थ वे भी धन्यवादके पात्र हैं। जयधवला कार्यालय ) भदैनी,काशी दीपावली-२४८३ कैलाशचन्द्र शास्त्री मंत्री साहित्य विभाग भा० दि० जैनसंघ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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