Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 377
________________ उल्लास / ढाळ ۹/۹ १/२ १/३ ३. ग्रन्थ में प्रयुक्त मूल रागिनियां १/४ म्हारै रे पिछोकड़ बाह्यो रे कुसुम्भो, जे कोइ चुगवा आंवै रे, कुसुम्भो ।। ध्रुवपद । चुगती चुगाती जोयड़ होई रे तिसाई जे कोइ पाणिड़ो पावै रे, कुसुम्भो ।। जय जय जय जिनजी नै नमूं रे नमूं ।। नमूं रे नमूं हूं तो घणी रे खमूं ।। जय जय जय जिनजी नै... पदम प्रभू जिनजी ने प्रणमूं, नीचो शीश नमाई । कच्छ देश कोसम्बी नगरी, धर नरपति सुखदाई ।। काय न मांगां, कांय न मांगां, कांय न मांगां जी, राणाजी ! मांगां पूरण प्रीत, बीजूं कांय न मांगां जी ।।ध्रुव . हाथी न मांगां, घोड़ा न मांगां, नहिं मांगां राज-पाट । उदियापुर रो वास न मांगां, मांगां पिछोला रो घाट ।। म्है तो कांय ... जय जश गणपति वन में आया, राय सुणी हरसायो रा । सुगणा ! नृपति सेठ वीरदत्त जैवन्ती दरसण कर सुख पायो रा । सुगणा स्वाम वंदीजै सरस वाण सुणीजै रा, सुगणा ! स्वाम वंदीजै । 'संवेगरस पीजै रा, सुगणां ! स्वाम वंदीजै । पर्युपास तास कीजै रा, सुगणा ! स्वाम वंदीजै । । परिशिष्ट-३ / ३७५

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