Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 416
________________ सव्येष्ठ सहल सांत सांभर सांवठा साकूत साखी सागार साटण- घटिया साद सामठो सामेळो सायर सारंग सारणा वारणा सारू सारू सालै / सालना साविध्य सावो सिकल सिततम सिल्लक्कत सुघड़ सुरभि सुरभी सूंडिया सेरि सोरठियो ४१४ / कालूयशोविलास-२ सारथी सरल, आसान श्रेष्ठ बारहसिंगा अधिक, बहुत अभिप्राय सहित साक्षी जिन नियमों के पालन में एक सीमा तक छूट हो, श्रावक के व्रत । बढ़िया रेशमी वस्त्र से निर्मित । शब्द सामूहिक, अधिक अगवानी सागर चातक स्याबासी और उपालंभ अनुरूप करूं खटकना सामीप्य विवाह का शुभ मुहूर्त सूरत एकदम सफेद सरसराहट चतुर, निपुण बसंत सुगंध ऐसा कुआं, जिसका पानी सूंडदार चरस से निकाला जाता हो । गली सोरठा नामक छंद

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