Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 414
________________ लवाजम लहताण लहुड़ा लाछ लास्य लिखत (तां) राजा महाराजा की शोभा बढ़ाने हेतु सवारी के साथ रहने वाला ठाटबाट व साज-सज्जा का सामान। ऊपर खींचने या तानने की क्रिया का भाव। लघु, छोटा लक्ष्मी, सम्बद्ध नृत्य प्रामाणिक दस्तावेज, विशेष परिस्थिति में किसी व्यक्ति या संघ पर लागू किए गए नियम का लिखित रूप। लचीली एकाग्रचित्त से एक बात पर ध्यान केन्द्रित करना गुड़, आटा आदि गर्म करके फोड़े पर बांधी जाने वाली लिपळी लिवल्या लूपरी दवा। लेखा लोक-बोक वन्ध्या वाच वाचंयम विरंग विराधक विरुद विलमाणो व्यवहार नय व्याकर्णी व्याज व्रती-व्रात गणना नादान लोग बांझ, बच्चा पैदा करने में अक्षम वचन मुनि, मौनी खेद-खिन्न लक्ष्यसिद्धि के लिए सम्यक साधना न करनेवाला। किसी के यश, गुण, प्रताप आदि का वर्णन। विलम्ब करना भेद को ग्रहण करने वाला दृष्टिकोण। व्याकरण शास्त्र का ज्ञाता। बहाना, मिष साधुओं का समूह शिव, सुखकर कमल खरगोश खरगोश शब्द के समालोचक मकान का वह हिस्सा जिसमें रोशनदान, खिड़की आदि न हो। शंकर शतपत्र शशक शशार शाब्दिक शाल ४१२ / कालूयशोविलास-२

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