Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 409
________________ नागेश नानड़िया निजरबाज निजोरी निर्जरा कंधे पर लटकाया जाता है शेषनाग बालक पारखी जहां किसी का बल न चले। तपस्या और उससे होने वाली आत्मा की आंशिक उज्ज्वलता। मोक्ष मार्ग फलीभूत हुई नीची भूमि, गड्ढा, तालाब अंत द्रव्य के समग्र रूप, सब पर्यायों को ग्रहण करनेवाली नय दृष्टि। निर्वृतिमाग निवड़ी निवाण निवेर निश्चय नय बलहीन निसत्त निसुण निस्त्रप नीठ-नीठ नीठा नीरधि सुनकर निर्लज्ज बड़ी मुश्किल से नष्ट हो गए समुद्र नजदीक नुपुर धैर्य, तसल्ली नेड़ी नेवर नेहचो पंचशिख पंडितमाणी पगमंडा (करना) सिंह पड़छंदा पतीजै/पतीजना पयोनिधि परखद परजलिया/परजलणा अपने आपको पंडित मानने वाला पधारना (अतिथि के स्वागत में राह पर बिछाए वस्त्र पर चलने की क्रिया) प्रतिध्वनि विश्वास करना समुद्र परिषद कुपित होना परिशिष्ट-४ / ४०७

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