Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 404
________________ आचार्य गणधर गुंजित होना बड़ा घड़े का ऊपरी भाग साक्षी भारी आत्मविकास की क्रमिक भूमिका। मुनीम गणप गणभृत गरणावै/गरणाना गरिया गळबा गवा गहगी (गो) गुणठाणो गुमासता गुरु-गम गुरु-तीर गृहयालू गोखै गोड़ गोडी घग्घराटी घणखरचू घाई घाम घुग्घाट घुस्या/घुरना घूक-संघाट चंगिणि चंगी चंचरीकता गुरु से प्राप्त गुरु के निकट ग्रहणशील झरोखा, वातायन समीप घुटने निर्झर का शब्द अपव्ययी, अधिक खर्च करने वाला। घात गर्मी चक्रबंधु उल्लू का शब्द आना उल्लुओं का समूह श्रेष्ठ अच्छी भ्रमर वृत्ति सूर्य रह-रहकर उठने वाली पीड़ा, टीस। विस्फारित चकोर चढाई पपीहा चबको चरूड़ी (डो) चलचंचू चाढ चालक ४०२ / कालूयशोविलास-२

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