Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

View full book text
Previous | Next

Page 405
________________ चर्चा में कुशल आचरण चार्चिक चाल-ढाल चित्त-चोरटो चित्राबेलि चुल्लपट्ट चूंथी चूंप चोखलो चोलड़ी चोलो चोसाल चोहटा छक छक्का छद्म मन को चुराने वाला, मनोहर ऐसी लता, जिस पर रखा हुआ पदार्थ अखूट रहता है। जैन मुनियों का अधोवस्त्र। धातु की दो लचीली फट्टियों को जोड़कर बनाया गया उपकरण। उत्साह ग्राम-मण्डल, बहिर्विहारी साधु साध्वियों के लिए प्रतिवर्ष निर्धारित किया जाने वाला विहार-क्षेत्र। चौगुनी साधुओं का बाना, मार्ग चतुष्कोण ऐसा चौक, जिसके चारों ओर मकान या दुकानें हों। ठाटबाट उत्साह, जोश, बहार माया, कपट प्रदर्शन छज्जा, छत का वह भाग, जो दीवार से बाहर निकला रहता है। सुशोभित होना जांच-पड़ताल टोकरी, बांस की छाबड़ी राख पृथ्वी दक्ष धोखा, अन्त किनारा छोलदारी, छोटा तंबू छीलना, खरोंच लगना बड़ा, मजबूत छपाण छाजां छाजै छाण छाब छार छिति छेक छेहड़ो छोली छोली/छोलना जंगि (गी) परिशिष्ट-४ / ४०३

Loading...

Page Navigation
1 ... 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420