Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 400
________________ अब अबीह अबोठो अभ्र अमार अमूझ अमोघ अर/आरो अरोगणै अर्क अलखावणो अलोल अवज्ज अस्यो अहनाण अहमहमिका आईठाण आऊखो क्यो-चांक्यो आखू आगूंच आघ आड़ो आण आथ आदित्य आफळिया आफू आब आमणदूमणी ( णो) आर ३६८ / कालूयशोविलास-२ अक्षत निर्भय परिपूर्ण, अखण्ड बादल हमारे बेचैनी सफल समय का एक परिमाण, कालचक्र का बारहवां हिस्सा । खाने के लिए सूर्य अप्रिय, मन के प्रतिकूल अचंचल, स्थिर, दृढ़ पाप ऐसा चिह्न मैं पहले मैं पहले, ऐसी उत्कण्ठा चिह्न, निशान आयुष्य जांचा-परखा हुआ चूहा पहले से ही मूल्य, इज्जत बालहठ, जिद्द आज्ञा संपदा सूर्य हैरान अफीम आभा आकुल-व्याकुल भोजन

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