Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 401
________________ आराधक आर्थिक आलय आला-आला आलोयणा लक्ष्यसिद्धि के लिए सम्यक साधना करनेवाला। अर्थ के समालोचक भवन श्रेष्ठ, बढ़िया प्रायश्चित्त का एक प्रकार, गुरु के सम्मुख अपनी भूलों का निवेदन। विराजित आसित आस्य इकदाण इतरथा मुख इयाणी इस समय उट्ठावणी उडुगण उडुपति उतराद उत्कंधर उत्तर गुण उत्संगाश्रित उदक उद्योतन उपकरण (ण) एक बार अन्यथा इस समय अनुशासनात्मक कार्यवाही, कड़ा उपालंभ नक्षत्र-समूह चन्द्रमा उत्तर दिशा ऊंची ग्रीवा आचार के सहायक नियम, मूलगुण के संपोषक नियम। गोद में स्थित पानी प्रकाश करना जैन मुनि के लिए उपयोगी वस्त्र-पात्र, रजोहरण आदि सामग्री। सेवा उपचर्या उपदरे उपाधी उबाक उमेद ऊंडिया ऊणायत ऊणो ऊर्णायु उपद्रव बीमारी उबकाई उम्मीद गहरा कमी न्यून, कम कम्बल परिशिष्ट-४ / ३६६

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