Book Title: Kaluyashovilas Part 02
Author(s): Tulsi Aacharya, Kanakprabhashreeji
Publisher: Aadarsh Sahitya Sangh

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Page 397
________________ ६/१२ ६/१३ ६/१३ ६/१४ ६/१५ ६/१६ म्हारो घणां मोल रो माणकियो, कुण पापी ले गयो रे । म्हारा छेल भंवर रो कांगसियो पणिहारयां ले गई रे, हां रे बैरणियां ले गई रे ।। ध्रुव. डोड मोहर रो कांगसियो मैं हटवाड़ा सूं ल्याई रे । दांत - दांत मोती जड़िया, अधबिच हीरा जड़िया रे । पाड़ोसण ले गई रे, म्हारा आलीजा भंवर रो कांगसियो... । । * ज्यां शिर सोवता रे लोय ! उछंगे लीधो हो लाल, राणीये कूकड़ो हो राज । गद-गद कंठे रे भाखै उत्तर मर्म नो । जिण सिर बाल्हो हो लाल, मुकुट विराजतो हो राज । दैवे कीधो रे छोगो राता चर्म नो । । अन्तर ढाळ हो पिउ पंखीड़ा, नारी गुणावली ताम जो, पिंजरियो कर लीधो झरते लोयणे रे लोय । हो पिउ पंखीड़ा ! पभणे परिहरी मुझ आम जो बिछड़वा मति कीधी अगणित जोयणे रे लोय । । संयममय जीवन हो । नैतिकता की सुरसरिता में जन- जन मन पावन हो । । संयममय जीवन हो । ध्रुव . अपने से अपना अनुशासन अणुव्रत की परिभाषा, वर्ण जाति या संप्रदाय से मुक्त धर्म की भाषा । छोटे-छोटे संकल्पों से मानस परिवर्तन हो । । संयम... पदम प्रभू नित्य समरिये । ध्रुव. 1 निर्लेप पदम जिसा प्रभू, प्रभु पदम पिछाण । संजम लीन्हो तिण समे, पाया चौथो नाण ।। पदम... जी थे मनै गोडै न राख्यो । मुगती जावा रो भेद न आख्यो ।। परिशिष्ट-३ / ३६५

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