Book Title: Kaisi ho Ekkisvi Sadi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 57
________________ 48 कैसी हो इक्कीसवीं शताब्दी? बच्चों को विपाक का बोध कराना, प्रवृत्ति का परिणाम क्या होगा, इसकी अवगति देना बहुत जरूरी है। यह पहला उपाय है संवेद-नियंत्रण का। दीर्घश्वास के प्रयोग ___ संवेद-नियंत्रण का दूसरा उपाय है-श्वास नियंत्रण । यही दीर्घश्वास की प्रक्रिया है। श्वास-नियंत्रण का अर्थ है-पूरा गहरा श्वास, दीर्घश्वास। यह एक विद्यार्थी के लिए बहुत जरूरी है, क्योंकि उसको मस्तिष्क के लिए ऑक्सीजन की बहुत अधिक आवश्यकता होती है। शिक्षा का संबंध है मस्तिष्क के साथ। पूरे शरीर को जितना ऑक्सीजन चाहिए उससे तिगुना ऑक्सीजन मस्तिष्क को चाहिए। उसकी पूर्ति दीर्घश्वास के द्वारा होती है। उस स्थिति में मस्तिष्क काफी सक्रिय हो जाएगा। उसकी क्षमता का विकास होगा। यदि ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में नहीं मिलेगा तो मस्तिष्क सुचारू रूप में काम नहीं कर पाएगा। विद्यार्थी में आलस्य और प्रमाद बढ़ेगा, उसका मन पढ़ाई में नहीं लगेगा, वह एकाग्र नहीं हो पाएगा, ज्ञान-ग्रहण की शक्ति क्षीण होने लगेगी। इसलिए विद्यार्थी के लिए दीर्घश्वास का प्रयोग बहुत लाभप्रद है। दीर्घश्वास भी लयबद्ध होना चाहिए। लयबद्ध श्वास के दो नियम हैं1. जितना समय श्वास लेने में लगे, उतना ही समय श्वास छोड़ने में लगे। प्रत्येक बार यही क्रम चले। 2. श्वास लेने में कम समय और श्वास छोड़ने में अधिक समय लगे। जैसे श्वास लेने में आठ मात्रा का समय लगता है तो छोड़ने में बारह मात्रा का समय लगना चाहिए, जिससे कि कार्बन पूरी मात्रा में निकल जाए। जब कार्बन पूरी मात्रा में निकल जाता है, तब न बेचैनी सताती है और न जम्हाई। विज्ञान और अध्यात्मः निष्पत्ति एक है बच्चा जब 13-14 वर्ष की अवस्था का होता है तब उसकी थाइमस और पिनियल-ये दोनों ग्रन्थियां निष्क्रिय हो जाती हैं। थाइमस ग्रन्थि के निष्क्रिय होने का परिणाम है-सहनशक्ति, चुस्ती, प्रसन्नता, आनन्द आदि का अभाव । पिनियल ग्रंथि जब निष्क्रिय हो जाती है तब नियन्त्रण की शक्ति कम हो जाती है। दीर्घश्वास के प्रयोग से बालक अनेक दोषों से बच जाता है। 13-14 वर्ष की अवस्था में यौन सक्रियता बढ़नी शुरू हो जाती है और पिनियल निष्क्रिय होती है, तब उसकी नियन्त्रण की शक्ति कम हो जाती है, बालक अनेक बुराइयों का शिकार हो जाता है। यह वैज्ञानिक दृष्टि की बात है। अब हम इस पर योगदृष्टि से विचार करें। कामवृत्ति का केन्द्र Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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