Book Title: Kaisi ho Ekkisvi Sadi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 127
________________ कैसी हो इक्कीसवीं शताब्दी ? 1 परिस्थिति के अनुरूप होता है और परिवर्तन का निमित्त भी परिस्थिति है इसलिए समाज का ध्यान परिस्थिति को बदलने पर केन्द्रित है । परिस्थिति मनुष्य को प्रभावित करती है, इसमें कोई संदेह नहीं है । वह प्रभावित करने वाले घटकों में एक घटक है। वह परिवर्तन का एकमात्र हेतु नहीं है वातावरण, पर्यावरण और परिस्थिति की समस्या को सुलझाने में उलझा हुआ मनुष्य समस्या को समाधान नहीं दे सकता । समाधान के लिए अनेकांत का दृष्टिकोण अपनाना जरूरी है। बदलाव के हेतु बाहर हैं, वैसे भीतर भी हैं । परिस्थिति मनुष्य को प्रभावित करती है किन्तु वह मनुष्य के व्यवहार का नियंत्रण नहीं करती। उसका नियंत्रण करने वाले तत्व शरीर के भीतर विराजमान (विद्यमान ) हैं । परिवर्तन के लिए उत्तरदायी हैं - नाड़ीतंत्र, ग्रंथितंत्र, रसायन और प्रोटीन (न्यूरो- ट्रांसमीटर) । नाड़ीतंत्र दो भागों में विभाजित है1. केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र 2. परिधिगत तंत्रिकातंत्र 118 केन्द्रीय तंत्रिकातंत्र के मुख्य अंग दो हैं 1. मस्तिष्क 2. सुषुम्ना अथवा मेरुरज्जु । इनके रहस्यों को समझे बिना व्यक्ति को नहीं बदला जा सकता । व्यक्ति को बदले बिना समाज को नहीं बदला जा सकता। आज एक स्वर चतुर्दिक् मुखर है - नए समाज की रचना होनी चाहिए। उसके लिए यत्र-तत्र प्रयत्न भी हो रहा है पर नए समाज की रचना का कार्य आगे नहीं बढ़ रहा है । मस्तिष्कीय प्रशिक्षण की प्रविधि का उपयोग किए बिना वह आगे नहीं बढ़ेगा, यह भविष्यवाणी की जा सकती है। परिस्थितिवादी दृष्टिकोण ने मनुष्य के अस्तित्व को बहुत गौण कर दिया। उसमें परिस्थिति को बदलने की जितनी आतुरता है, उतनी अपने आपको बदलने की नहीं है । परिस्थिति को एक साधन के रूप में रेखांकित किया जा सकता है। उसमें कर्त्तृत्व का आरोप करना बहुत बड़ी भ्रांति है । इस भ्रांति ने मानवीय पोरुष और कर्तृत्व को काफी हानि पहुंचाई है । न्यायशास्त्र में प्रभाण का एक दोष माना गया है अन्योन्याश्रय । एक घुड़सवार से पूछा गया, 'यह घोड़ा किसका है ?' उसने उत्तर दिया, 'जिसका मैं सेवक 'हूं।' 'तू किसका सेवक है ?' उत्तर मिला, जिसका यह घोड़ा है।' दोनों उत्तर (प्रश्नकर्त्ता को किसी निर्णय पर नहीं पहुंचा सके। आदमी कब बदलेगा? इस प्रश्न का उत्तर दिया जा रहा है--जब परिस्थिति बदलेगी । परिस्थिति कब ;बदलेगी? जब आदमी बदलेगा । इस उत्तर शृंखला में कोई निर्णय नहीं है । परिस्थिति बदले या न बदले आदमी बदल सकता है—यह निर्णय की भाषा Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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