Book Title: Kaisi ho Ekkisvi Sadi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 140
________________ शिक्षा 131 दृष्टिकोण उपयोगिता-परक नहीं रहता तब वे साध्य बन जाते हैं। इस साध्यपरक दृष्टिकोण ने एक मानसिक भ्रांति पैदा कर दी। पदार्थों को येन-केन-प्रकारेण पाने का प्रयत्न शुरू हो गया। साधन-शुद्धि का विचार अस्तित्व में नहीं रहा। उसी का परिणाम है-जीवन का मशीनीकरण। युग ही यांत्रिक नहीं हुआ है, मनुष्य भी यंत्रवत् जी रहा है। क्यों जी रहा है? यह लक्ष्य भी स्पष्ट नहीं है। नई पीढ़ी के निर्माण का तात्पर्य है-इन अवधारणाओं से मुक्त मनुष्य और समाज का निर्माण । उसका साधन होगा-समन्वयवादी दृष्टिकोण, अपने भीतर झांकने का उपक्रम, अहिंसा का प्रशिक्षण, मानवतावादी दृष्टिकोण का विकास, अणुव्रत की आचार-संहिता का अनुशीलन और अभ्यास, सहिष्णुता, अनुशासन और कर्तव्यनिष्ठा की अनुप्रेक्षाओं के प्रयोग। यह प्रयत्न स्वस्थ समाज रचना और स्वस्थ व्यक्ति निर्माण की दिशा में एक साथ चले तो नई पीढ़ी के निर्माण की कल्पना साकार हो सकती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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