Book Title: Kaisi ho Ekkisvi Sadi
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 117
________________ 108 कैसी हो इक्कीसवीं शताब्दी? दो रोगियों के मस्तिष्क में भ्रूण के टिस्सुओं का प्रत्यारोपण किया। उससे उन रोगियों को काफी राहत मिली। प्रश्न राहत का नहीं है। प्रश्न है नैतिकता का, औचित्य का। क्या एक रोगी को ठीक करने के लिए एक भ्रूण की हत्या करना उचित है? क्या इसे नैतिक कार्य माना जा सकता है? आचार्य भिक्षु अहिंसा के मर्मज्ञ थे। उन्होंने अहिंसा को गहरी सूक्ष्म दृष्टि से देखा और उसकी समीक्षा की। उन्होंने एक प्रश्न उपस्थित किया-क्या बड़े जीवों को बचाने के लिए छोटे जीवों की हत्या करना संगत है? इस प्रश्न की समीक्षा के बाद उन्होंने लिखा-जो लोग बड़े जीवों के लिए छोटे जीवों की हिंसा को उचित ठहराते हैं, वे छोटे जीवों के शत्रु हैं। रोगी दुःखी है। उसके दुःख को दूर करना एक डॉक्टर का कर्तव्य हो सकता है, किन्तु यह कर्तव्य कैसे हो सकता है कि अजन्मे बालक को मार कर जन्मे बूढ़े या युवक को बचाएं। भगवान महावीर की वाणी में यह दुःख प्रतिघात के लिए की जाने वाली हिंसा है। रोग एक दुःख है। सेवा का काम करने वाले दूसरे के दुःख का निवारण करना चाहते हैं पर जैसे-तैसे एक के दुःखका निवारण कर दूसरे को दुःखी बनाना तर्क, बुद्धि और समझ से परे है। श्रेष्ठता की कसौटी मनुष्य सब प्राणियों में श्रेष्ठ है-इस धारणा के आधार पर उसके लिए सब कुछ करना क्षम्य मान लिया गया। वर्तमान चिकित्सा के क्षेत्र में लाखों-लाखों मूक पशु परीक्षण के लिए मारे जाते हैं। क्या इस हिंसा के आधार पर जीने वाला आदमी अहिंसा के विकास की बात सोच सकता है? क्या आदमी अमर है अथवा अमर होगा? रोगों की रोकथाम के लिए स्वाभाविक प्रयत्न करना असंगत नहीं कहा जा सकता। अस्वाभाविक प्रयत्नों की जो शृंखला शुरू हुई है, उससे अनेक प्रश्न उभर रहे हैं। क्या इस दुनिया में केवल मनुष्य को ही जीने का अधिकार है? मनुष्य बुद्धिमान प्राणी है, क्या वह इसीलिए सर्वश्रेष्ठ है? इन प्रश्नों का उत्तर आज का पर्यावरण विज्ञानी दे रहा है। पर्यावरण विज्ञान के अनुसार अकेला मनुष्य इस दुनिया में जी नहीं सकता। श्रेष्ठता की कसौटी कोरी बौद्धिकता ही नहीं है। सृष्टि का संतुलन बनाए रखने में जिनका योगदान है, उन सबकी अपने श्रेष्ठता है। उन सारी श्रेष्ठताओं का योग ही यह जगत है। इस स्थिति में मनुष्य के लिए सब कुछ क्षम्य क्यों? मनुष्य के लिए मनुष्य के भ्रूण की हत्या क्या क्षम्य हो सकती है? प्रश्न जीने और मरने का नहीं है। जन्म लेने वाला हर व्यक्ति मरता है इसलिए मरना कोई अजीब घटना नहीं है। अजीब घटना है गलत मान्यता Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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