Book Title: Kaid me fasi hai Atma Author(s): Suvidhimati Mata Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 8
________________ कैद में फँसी है आत्मा भाड़ भूंजते हुए एकाध दाना कदाचित् कड़ाही के बाहर आ जाता है न! ठीक उसी तरह क्लेश समुदाय को सहते-सहते भाग्योदय से यह जीव उस अवस्था से निकल कर पृथ्वीकायिक, जलकायिक, अग्निकायिक, वायुकायिक या प्रत्येक वनस्पतिकायिक जीव बन जाता है। जब यह जीव पृथ्वीकायिक बना तो इस ने नानाविध कष्ट उठाए । मिट्टी को लोग खोदते हैं, जलाते हैं, रौंदते हैं, कूटते हैं, धूप को ताप से वे जीव मरते हैं। भागने में असमर्थ ये जीव पराधीन पने के दुःखों से सदैव सन्तप्त होते हैं। एक चने के दाने बराबर मिट्टी में अनन्त पृथ्वीकायिक जीव रहते हैं, वैसे ही एक बून्द पानी में भी अनन्त जलकायिक जीव रहते है। आज का विज्ञान भी यह कहता है कि एक बून्द पानी में 36450 जीव रहते हैं। इस पर्याय को पाए जीव रौंदे गए, फेंके गए, जलाए गए। कभी यह जीव अग्निकायिक बना तो हवा के द्वारा हिलाए जाना, पानी या मिट्टी के द्वारा बुझाए जाना, लोहे से निकलते हुए स्फुल्लिंगों को घन की चोटों से पीटा जाना आदि क्रियाओं से कष्ट सहता रहा। वायुकायिक जीव बना तो दीवारादिक के टक्कर से, गर्मी के झोंकों से, पंखों से, तीव्र जलवृष्टि से इस ने अनेक दुःख सहे । वनस्पतिकायिक अवस्था में छेदन - भेदन, अग्नि द्वारा जलाया जाना आदि अनेक तरह के दुःखों का शिकार बना । इस तरह अनन्त काल बीत गया, स्थावर पर्याय में । कर्मों में कुछ परिवर्तन हुआ, आत्मा के लिए अभ्युत्थान का एक क्षणिक अवसर प्राप्त हुआ, फलत: यह जीव विकलत्रय पर्याय को प्राप्त हुआ। बड़ा ही कठिन कार्य है स्थावर पर्याय से त्रस पर्याय पाना । पण्डित दौलतराम जी ने लिखा है कि चिन्तामणि रत्न पाना जितना कठिन है, उतनी ही कठिनता होती हैं स्थावर से त्रस पर्याय पाने में। यह जीव विकलत्रय अर्थात् दो इन्द्रिय, तीन इन्द्रिय, चार इन्द्रिय जीव बना। ये जीव हवा, पानी, आग आदि के माध्यम से दुःख पाते हैं, गाड़ी या मनुष्य के पैरों के नीचे आ कर मरते हैं। इन्हें मानव की क्रूरता के कारण भी अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ती हैं। जैसे - मधुमक्खी के छत्तों को आग लगा देना, रेशम के कीड़ों को खौलते हुए पानी में डालना, अनाज के अन्दर पाए जाने वाले कीड़ों या सिर में पाए जाने वाले कीड़ों को धूप में फेंक देना। वे जीव तड़प-तड़प कर मर जाते हैं। 6Page Navigation
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