Book Title: Kahan Katha Mahan Katha Author(s): Akhil Bansal Publisher: Bahubali Prakashan View full book textPage 5
________________ हा मा,स्कूल में केवल व्यावहारिक ज्ञानही मिलता है। MAHARMA यह सब क्या सोचते बड़े भैय्या, आप कोक्या मैं तुमसेबड़ा रहते होकहानमैया!अच्छा लगता है? हूं अत: कोई बड़ा व्यापार करूंगा तथा व्यापार से अच्छी कमाईकरूंगा. वशाल, कहान कोनदीकी तरफ घुमाला, और तुम क्या करोगे कहान? नया क्या देखो भाई,यह संसारका मायाजाल करोगे? / मुझे किंचित भी अच्छा नहीं लगता मैं तोइसे छोड़ने के लिये (आत्म साधना के उद्देश्य से जीवन व्यतीत करंगा में तोजो किसी ने (नहीं किया होगा ऐसा कुछ नया करुंगा.. मेरा आशीघM घर आकर सुशाल नै खुशी खुशी'मासे | सारीबातें बताई. (कितने उच्च विचार है। नमा ? उद्देश्य में सफल हो. (हां बेटा.)Page Navigation
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