Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 15
________________ श्रीकानजी स्वामी ने बडाला.सं०-1971 चूड़ा-सं-1978 विभिन्न स्थानों पर मूलजीभाई, शायद भविष्य आपके कहे अनुसार यदि चातुर्मास तथा विहार मैने स्वप्न में में आपकी सब करने लगे तो सबका कर धर्म प्रचार किया. पूरा आकाश/ प्रेरणा से किसी सब करने लगे तो सबका शास्त्रों से आगममंदिर का काम कौन करेगा? भरा देखा, निर्माण होगा, 13 एक करोड़पतियह नहीं सोचता कि सब करोड़पति बनजायेंगे तो बर्तन कौन साफ करेगा. 177 जामनगर .स.-1978.यह ग्रन्थ क्या मिला उनका सारा||समय समय पर दामोदर सेठ प्रदत्त जीवन समयसार मय होगया . श्रीकानजीस्वामी दि आचार्य कुन्दकुन्दपायहता अशगुरहान अपने विचार प्रकट शास्त्रहै. के समयसार व अष्ट करते रहे। li- पाहुइग्रन्थको गांव के 7 मैने इस सम्प्रदाय बाहर एक गुफा में एक में जन्म लिया है। माह तक पढ़ते रहे. इसलिये इसमें मेरी सच्ची श्रद्धाहो ऐसा नहीं है. आत्म कल्याण के लिए अधिक ज्ञान नहीं वरन् सच्ची श्रद्धा आवश्यक राजकोट ,संवत.1982 आचार्य कल्प पं. टोडरमल जीका मोक्षमार्ग प्रकाशक पढ़ने में तल्लीन रहे. इसका सातवां अधिकार तोइन्हे इतना भाया कि उसकी हाथ से अनुकृति कर ली, 113 ANJALI

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