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31|| श्रीकानजी स्वामी के अनन्य शिष्यों में प्रमुख
पं. फूलचन्द्र शास्त्री
पं.बाबू भाई मेहता श्री लालचन्द भाई
खीमचन्द भाई
श्रीयुगल जैन
डॉ०हकमचंद भारिल्ल भी नेमीचन्दजी पाटनी इन सभीनेजैनधर्म की भावना में
महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पं० बाबूभाई मेहताने भगवान महावीरके । इनके सदप्रयासों से 13 मार्च,
25 सौवें निर्वाण वर्ष में धर्म चक्र का 1976 को जैनतीर्थो की सुरक्षा प्रवर्तन देश भर में किया।इससे जैनधर्म तथा साहित्य प्रकाशन को गति का अभूतपूर्व प्रचार हुआ।
देने के उद्देश्य से श्री कुन्दकुन्द कहान दि जैन तीर्थ सुरक्षा ट्रस्ट
की स्थापना हुई।
धर्मचक्र इसके अन्तर्गत जयपुर में श्री टोडरमल सिद्धांत महाविद्यालय भी संचालित है। इसके माध्यमसे प्रतिवर्ष शास्त्री, आचार्य की डिग्री प्राप्त विद्वान तैयार होकर जैन समाज की सेवा कर रहे है।
साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में भी कुन्दकुन्द कहान दि. जैन तीर्थ सुरक्षाट्रस्ट अग्रणी है।