Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 38
________________ 36] 28 नवम्बर 1980. संध्या 7 बजकर 10 मिनट पर बम्बई में पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी ने आत्म निमग्न दशा में देह का परित्याग किया। बम्बईके नीलाम्बरके विशाल मैदान में अंतिम दर्शनों के लिए लोगों का तांतालग गया। पार्थिव शरीर को वायुयान से सोनगढलाया गया। 30 नवम्बरको विशाल शवयात्रा निकली। भारत वर्षीय दिगम्बर जैन विद्वत परिषद के अध्यक्ष पं.नाथूलालजीसहितासरी ने शास्त्रोक्त विधि से अंतिम संस्कार किया। H ierant Patni अंतिम दर्शन JHALRAPATAN सोनगढ में श्रद्धांजलि सभा में संहितासूरि पं० नाथूलालजी शास्त्री ने कहा-"मैं 35 वर्ष से पू० गुरुदेव के सम्पर्क में रहा। ऐसा अपूर्व पराक्रमशाली व्यक्तित्व हमने नदेखा,नसुना। सैकड़ों-हजारों हीनहीं लाखों व्यक्ति आपके तत्व से प्रभावित थे।

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