Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 35
________________ 133 सितम्बर-1977 रात्रिचची (स्वामीजी,सम्यक नियतिवाद) का क्या अर्थ है? जिस पदार्थ का जिस समय में, जिस क्षेत्रमें,जिस) निमित्त से जैसा होना है वैसा ही होगा। उसमें किंचित भी फेरफार करने में कोई समर्थ नहीं है। /ऐसा ज्ञान में निर्णयकरना सम्यक नियतिवाद है और ऐसे निर्णय में स्वभाव की तरफ का अनंत पुरुषार्थ आ जाता है। सुनाहै ,आचार्यों ने सोनगढ़ का बहिष्कार कर दिया है। हम सभी को अजैन घोषित कर दिया है। क्या हम किसी के बनाने से दिगम्बर जैन)। हम अपनी शृद्वासे दिगम्बर जैनबने है। बने थे,जो उनके कहनेसे अजैन । हमारी श्रृद्धा किसी के आदेशों की मुहताज होजाएंगे? नहीं है।

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