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123 संवत-2008. पूज्य स्वामीजी के प्रवचनों से प्रभावित होकर कुछ आत्मार्थी बहने भाउनब्रह्मचर्यधारण कर वहाँ स्थायी रूप से रहने लगीं। जिनमें पूज्य श्री चम्पावन-व | शान्ताबेन प्रमुख थाप ज्य गरुदेव श्री औरRHWटन बहनों के आवास व पूज्य श्री चम्पाबेन
की समुचित व्यवस्था Sa शान्ताबेन के सानिध्य
होनी चाहिए त में रहकर होजोवास्तविक सुखका मार्ग मिला है,वह भौतिकता की चकाचौथ में कही?
एक दिन गुरुदेव श्री ने कहा
RAL लाडनू निवासी सेठ बच्छ राजजी.संवत 2008 को श्री गोगीदेवी दि. जैन श्राविका गंगवाल ने कहा
ब्रह्मचर्याश्रम बन कर तैयार होगया , जिसका बहनों के आवास
उदघाटन माघ सुदी 5 को समारोह पूर्वक की व्यवस्था मैं करूंगा.
न सम्पन्न हुआ..
UNOVA5प पूराण
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/गंगवाल जीने आश्रमका भवन/सुना है इसे बनवाने तो बहुत सुन्दर बनवाया है,
(में सवालाख रुपये लग गये है:
इस भवन में वर्तमान में भी आत्मार्थी बहने आत्मसाधनारत है और आज इसेबनवाने में दस लाख से भी अधिक रुपया लगेगा,