Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ एकबार किसीकाथसेकहानकमार को बड़ौदा जाना पडा. (समय व्यतीत (करने के लिए नाटकही देवाजाय. INIRL नAT दा GAया महासत नाटक के एक प्रसंग में अनुसूया अपने | बेटे को झूला में मुलाती हुई कहती है... इस प्रसंग का कहान पर विशेष प्रभाव पड़ा. बेटा तूं शुद्ध "है, बुद्ध है, कितने प्रेरणादायक शब्द निर्विकल्प है, उदासीन है.. blacा AUDE भावनगर में-बलकव।। भरुंच में-'मीराबाई' तथा - भर्तहरि' नाटक देखा, इनका प्रभाव कहान के मन पर पड़ा.

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40