Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 8
________________ न की|न पशुओं के लिये चारा था संवत् 1956 की बात है, उमराला ग्राम अकाल की | चपेट में आगया. 6 न पानी.कृशकाय पशुओं को लेकर ग्वाले इधर उधर भटकते थे, एक दिनकी बात है,कहानने देखा (वह ग्वाला रो रहाहै ? (तुमक्यों रो रहे हो?) MINUTIVIA (भैया,अकाल पड़ रहा है... मैं गाय के लिए चारे का इंतजाम यह दृश्य देखकरकहानकुमार नहीं कर पा रहा हूँ,देखोन, भखके मारे अत्यंत करुणावत होगये, गायकी आंखों से भी आंसूलुढक रहे है।

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