Book Title: Kahan Katha Mahan Katha
Author(s): Akhil Bansal
Publisher: Bahubali Prakashan

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Page 6
________________ अल्पावस्था में ही,माता-पिता का स्वर्गवासहोजाने से कहान, खुशाल पर जैसे वज्रपात हुआ. | आजीविका के लिये कहान, खुशालभाई के साथ पालेज में दुकान पर बैठनेलगे. हम अकेले M रह गये कहान. ITRITIES Pood कहान, अपने मुकदमेके सिलसिले में कहान की निर्भीकता, निर्देषिता औरसत्यवादिता तुम्हीं बड़ौदा कोर्ट चले जाओ. कीजज पर अमिट छाप पड़ी. उन्होंने आधार मांगे बिना उनके पक्ष में निर्णण देदिया. HainA जाता हूँ भाई, प्रोवोलूंगा. पर मैं सत्य ही तिम्हारी सच्चाई से (हम मुकदमाजीत गये ,धन्यवाद धन्यवाद क्यों न्यायालय)/आप भी सत्य की पैरवी हमेशा में तो सच ही बोलना - (करेंगे तो विजयी रहेंगे.. चाहिये.

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