Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[८] / गाथा.||१|| ............ मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित....."कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम्
प्रत
सूत्रांक/
RSS
गाथांक
कल्प कल्लाणा सिवा धन्ना मंगल्ला सस्सिरिआ आरोग्गतुट्ठिदीहाउकल्लाणमंगल्लकारगाणं तुमे नारसो ॥ ३॥ | देवाणुप्पिए ! सुमिणा दिट्ठा, तंजहा-अत्थलाभो देवाणुप्पिए ! भोगलाभो देवाणुप्पिए !
पुत्तलाभो देवाणुप्पिए ! सुक्खलाभो देवाणुप्पिए ! एवं खलु तुमं देवाणुप्पिए! नवण्हं| मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाणं राइंदिआणं विइक्वंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेअं माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसवंगसुं
दरंगं ससिसोमाकारं कंतं पिअदंसणं सुरूवं देवकुमारोवमं दारयं पयाहिसि ॥८॥ I सेविअ णं दारए उम्मुक्कबालभावे विन्नायपरिणयमित्ते जुव्वणगमणुपत्ते, रिउव्वेअ-ज
उवेअ-सामवेअ-अथव्वणवेअ-इतिहासपंचमाणं निघंटुछद्राणं संगोवंगाणं सरहस्साणं चउण्हं वेआणं सारए पारए धारए, सडंगवी, सद्वितंतविसारए, संखाणे सिक्खाणे सिक्खाकप्पे वागरणे छंदे निरुत्ते जोइसामयणे अन्नेसु अ बहुसुबंभण्णएसुपरिवायएसु नएसु
[]
दीप
अनुक्रम
IM॥३
~11~
Page Navigation
1 ... 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 ... 145