Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text
________________
दशाश्रुत छेदसूत्र अन्तर्गत्
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्र) (मूलम्) .......... मूलं- सूत्र.[५] / गाथा.||१|| ......... मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित......"कल्प(बारसा)सूत्रम्" मूलम
**
प्रत
सूत्रांक/
गाथांक
५)
वेइ, वद्धावित्ता सुहासणवरगया आसत्था वीसत्था करयलपरिग्गहियं दसनहं सिरसावत्तं मथए अंजलिं कट्ट एवं वयासी॥५॥ एवं खलु अहं देवाणुप्पिआ! अज्ज सयणिजंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले जाव सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा, गय-जाव-सिहि च॥६॥ एएसिं णं उरोलाणं जाव चउदसण्हं महासुमिणाणं के मन्ने कल्लाणे फलवित्तिविसेसे भविस्सइ ? तएणं से उसभदत्ते माहणे देवाणंदाए माहणीए अंतिए एअमटुं सुच्चा निसम्म हट्टतुट्ठ जाव हिअए धाराहय-5 कलंबुअंपिव समुस्ससियरोमकूवे सुमिणुग्गहं करेइ, करित्ता ईहं अणुपविसइ, अणुपविसित्ता अप्पणो साभाविएणं मइपुवएणं बुद्धिविन्नाणेणं तेसिं सुमिणाणं अत्थुग्गहं करेइ, करित्ता देवाणंदं माहणिं एवं वयासी॥७॥ ओरालाणं तुमे देवाणुप्पिए! सुमिणा दिट्ठा,
१-२ भद्दासण १-२ मुहासणवरगया क० १-२ देवाणुपिआ! उ.
AAAAAKASA
दीप अनुक्रम
*555
ऋषभदत्तब्राह्मण कथितं १४ स्वप्नफ़लम्
~10~
![](https://s3.us-east-2.wasabisys.com/jainqq-hq/c9d1ba815f9922f881db52580bb414dc91eadc589c61919de06d60f79aaa4397.jpg)
Page Navigation
1 ... 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 ... 145