Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
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दशाश्रुत०
छेदसूत्र अन्तर्गत
प्रत
सूत्रांक/ गाथांक
[४]
+
||१||
दीप
अनुक्रम
[३-५]
कल्प०
॥ २ ॥
“कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्)
मूलं- सूत्र. [४] / गाथा ||१||
मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम्
दामाहणी सयणिज्जंसि सुत्तजागरा ओहीरमाणी २ इमेआरूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा, तंजहा, गये - वसहं - सीहअभिसे-दाम-ससि - दिणयरं झयं कुंभं । पउमसेरं - सागरे - विमाणभवणे - रयणुच्चये - सिहिं च ॥ १ ॥ ॥ ४ ॥ तरणं सा देवाणंदा माहणी इमे एयारूवे उराले कल्लाणे सिवे धण्णे मंगल्ले सस्सिरीए चउद्दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धा समाणी, हट्टतुट्ठचित्तमानंदिआ पीअमणा परमसोमणसिआ हरिसवसविसप्पमाणहियया धाराहयकलंबुगे पिव समुस्ससिअरोमकूवा सुमिणुग्गहं करेइ, सुमिणुग्गहं करित्ता सयणिञ्जाओ अब्भुट्टेइ, अब्भुट्टित्ता अतुरिअमचवलमसंभंताए अविलंबिआए रायहंससरिसीए गईए, जेणेव उसभदत्ते माहणे, तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता उसभदत्तं माहणं जएणं विजएणं वडा
१-२ कफपि
देवानंदा दृष्ट १४ स्वप्नानि
~6~
बारसो
॥ २ ॥
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