Book Title: KALP Barsa SOOTRA
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

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Page 9
________________ दशाश्रुत० छेदसूत्र अन्तर्गत् प्रत सूत्रांक/ गाथांक [3] दीप अनुक्रम [૨] “कल्पसूत्रं (बारसासूत्रं) (मूलम्) मूलं- सूत्र. [३] / गाथा || || मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित ....."कल्प ( बारसा) सूत्रम्" मूलम् ससहस्सेहिं ऊणिआए पंचहत्तरिवासेहिं अद्धनवमेहि य मासेहिं सेसेहिं - इक्कवीसाए तित्थयरेहिं इक्खागकुलसमुप्पन्नेहिं कासवगुत्तेहिं, दोहि य हरिवंसकुलसमुप्पन्नेहिं गोअमसगुत्तेहिं, तेवीसाए तित्थयरेहिं विइक्कतेहिं, समणे भगवं महावीरे चरमतित्थयरे पुवतित्थयरनिद्दिट्ठे, माहणकुंडग्गामे नयरे उसभदत्तस्स माहणस्स कोडालसगुत्तस्स भारिआए देवाणंदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए पुवरत्तावरत्तकालसमयंसि हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं आहारवक्त्रंतीए भववक्त्रंतीए सरीरवक्त्रंतीए कुच्छिसि गब्भत्ताए वक्कते ॥ ३ ॥ समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए आविद्दुत्था-चइस्सामित्ति जाणइ, चयमाणे न याणइ, चुएमि त्ति जाणइ ॥ जं रयणिं च णं समणे भगवं महावीरे देवाणदाए माहणीए जालंधरसगुत्ताए कुच्छिसि गन्भत्ताए वक्कंते, तं रयणिं च णं सा देवाण१ चरिमे ~8~

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