Book Title: Jo Sahta Hai Wahi Rahita Hai Author(s): Mahapragna Acharya Publisher: Jain Vishva Bharati View full book textPage 7
________________ सम्पादकीय व्यक्ति समूह में रहता है। समूह में एक दूसरे को सहन करना अनिवार्य होता है । जो सहन करना नहीं जानता वह शांति का जीवन नहीं जी सकता । जिस परिवार में एक-दूसरे को सहन किया जाता है उसमें शांति एवं सौहार्द बना रहता है । आज परिवारों के टूटन की समस्याएं ज्यादा सामने आ रही हैं। इसके पीछे मूल कारण है सहनशक्ति का अभाव । युवा पीढी सहन करना कायरता का लक्षण मानती है । पर अपने आप को किसी भी क्षेत्र में, किसी के बीच में स्थापित करना है तो सहनशक्ति जरूरी है । सहन वही कर सकता है जो स्वयं शक्तिशाली होता है या यह कहूं कि जिसने अपनी शक्ति को पहचान लिया है। आचार्यश्री महाप्रज्ञ साहित्य जगत् का एक चर्चित नाम है । किसी एक व्यक्ति द्वारा तीन सौ पुस्तकों का लेखन होना, बहुत विलक्षण बात है। ऐसा कार्य करने वाले इने-गिने लोग ही मिलेंगे। उनमें एक नाम आचार्यश्री महाप्रज्ञ का है। उन्होंने हर एक विषय पर अपनी लेखनी चलाई, विविध विषयों को प्रवचन का आधार बनाया। दस वर्ष की अवस्था में संसार को त्यागने वाला एक धर्मगुरु सामाजिक, आर्थिक और व्यक्तिगत स्तर पर आने वाली समस्याओं का सटीक समाधान प्रस्तुत करें तो यह महान आश्चर्य है । यह काम आचार्यश्री महाप्रज्ञ ने अपनी प्रज्ञा जागरण से किया। लोगों के मानस में यह विश्वास जमा हुआ था कि जिस समस्या का समाधान अन्यत्र न मिले वह समाधान आचार्यश्री महाप्रज्ञ के पास अवश्य मिल जायेगा। बड़े-बड़े चिंतक, दार्शनिक, धर्मगुरु राजनीतिज्ञ सब इस आशा से उनके पास आते थे कि आचार्यश्री महाप्रज्ञ एक ऐसे शख्स हैं, महापुरुष हैं जो सम्पूर्ण विश्व का मार्गदर्शन कर सकते हैं। ऐसे महापुरुष के सान्निध्य में मुझे बारह वर्ष की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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