Book Title: Jinsutra Author(s): Chandraprabh Publisher: Jain Shwe Nakoda Parshwanath Tirth View full book textPage 7
________________ पूज्य श्री चन्द्रप्रभ जी ने ठीक ही कहा है कि भगवान महावीर की छब्बीससौवीं जन्म-जयंती पर स्वयं भगवान की ही मूल वाणी को प्रकाशित करने से बढ़कर उनके चरणों में समर्पित किया जाने वाला और कौन-सा बेहतरीन पुष्प होगा। नाकोड़ा तीर्थ ट्रस्ट द्वारा 'जिनसूत्र' की पचास हजार प्रतियाँ प्रकाशित की जा रही हैं। हमारा अनुरोध है कि आप स्वयं इस पवित्र पुस्तक का पारायण और मनन करें और कम-से-कम अपनी ओर से इसकी दस प्रतियाँ अपने मित्रों तक पहुँचाएँ। श्री जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्ट की ओर से जन्म-जयंती-वर्ष पर श्रमण भगवान श्री महावीर स्वामी के चरणों में कोटि-कोटि नमन । पारसमल भंसाली, अध्यक्ष, — श्री जैन श्वे. नाकोड़ा पार्श्वनाथ तीर्थ ट्रस्टPage Navigation
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