Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 11
________________ ( २ ) गुणोत्कीर्तन, वंदन, पूजन, आज्ञा पालन आदिसे की जा सकती है। प्राकृतिक नियमके अनुसार प्राणियों का मूर्ति (प्रतिबिम्ब ) की ओर अधिक झुकाव देखा जाता है। मूल वस्तु को पहिचानने और स्मरण करने में उसकी मूर्ति या चित्र की नितान्त आवश्यकता रहती है। स्थापना को माने बिना किसी का भी व्यवहार नहीं चल सकता। इससे अति प्राचीन कालसे भारतवर्षकी जनता मूर्ति पूजा को मानती आई है, किन्तु जब भारतमें मुसलमानोंका साम्राज्य हुवा तो उनके वर्ताव का भारतवर्ष की जनता पर बहुत प्रभाव पड़ा। और मूर्ति को अमान्य करनेवाले मतों का भी भारतमें प्रायः तभी से प्रादुर्भाव होने लगा। यह बात इतिहास प्रमाणोंसे सिद्ध है। मुसलमानों द्वारा बहुत से प्राचीन मन्दिरों के विध्वंस किये जाने पर भी कुछ अवशेष मन्दिरों, भूमि अन्तर्गत रहे हुवे शिला लेखों, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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