Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 10
________________ "मूर्ति पूजा विचार" (लेखक-अगरचन्द नाहटा) जिन-प्रतिमा-सिद्धि आत्मा निमित्त वासी है। उसके उन्नत आर अवनत होनेमें निमित्त कारण ही की प्रधान्यता है। जिस प्रकार बुरे निमित्तों से आत्मा की अवनति होती है उसी प्रकार अच्छे निमित्तोंसे आत्मा की उन्नति होना स्वाभाविक ही है। इस लिए प्रत्येक प्राणीका यह कर्तव्य है कि यदि वह अपनी आत्मोन्नति करना चाहे तो अच्छे निमित्तों में रहना चाहिये। प्रत्येक धममें ईश्वर की उपासना (दर्शन, वंदन और पूजन) को आत्माके उन्नत होने में सबसे उत्तम निमित्त माना गया है। जैन धर्म में भी अपने उपकारी और राग द्वेष से रहित जिनेश्वर देव की भक्ति को आत्मोन्नति में प्रथम साधन बतलाया है। वह भक्ति, उनके नाम स्मरण, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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