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शुद्धा-शुद्धि पत्र ।
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अशुद्ध
आर भारतवष वाले हैं भावनों
शुद्ध और भारतवर्ष वाला है भावनाओं टीले वस्तुएं गुणोके करना
टोले
वस्तुएं
हसलिये कोई करनेवाले वृण के इसके মৰাৰ धर्म शरीरमें मानी
इसलिये कई कहनेवाले वृण को इससे धर्म प्रचार, शरीरमें पैर भानो
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