Book Title: Jinraj Bhakti Adarsh
Author(s): Danmal Shankardan Nahta
Publisher: Danmal Shankardan Nahta

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Page 8
________________ शुद्धा-शुद्धि पत्र । पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध आर भारतवष वाले हैं भावनों शुद्ध और भारतवर्ष वाला है भावनाओं टीले वस्तुएं गुणोके करना टोले वस्तुएं हसलिये कोई करनेवाले वृण के इसके মৰাৰ धर्म शरीरमें मानी इसलिये कई कहनेवाले वृण को इससे धर्म प्रचार, शरीरमें पैर भानो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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