Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 7
________________ १०. शीतलनाथ वन्दना आपका गुणगान जो जन करें नित अनुराग से। सब भय भयंकर स्वयं भयकरि भाग जावें भाग से॥ तुम हो स्वयंभू नाथ निर्भय जगत को निर्भय किया। हो स्वयं शीतल मलयगिरि से जगत को शीतल किया। ११. श्री श्रेयांसनाथ वन्दना नरतन विदारन मरन-मारन मलिनभाव विलोक के। दुर्गन्धमय मलमूत्रमय नरकादि थल अवलोक के॥ जिनके न उपजे जुगुप्सा समभाव महल-मसान में। वे श्रेय श्रेयस्कर शिरी (श्री) श्रेयांस विचरें ध्यान में॥ (६)Page Navigation
1 ... 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50