Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 31
________________ इस भेद से अनभिज्ञ ही रहते सदा बहिरातमा । जो जानते इस भेद को वे ही विवेकी यह जानकर पहिचानकर निज में जमे जो वे भव्यजन बन जायेंगे पर्याय में आतमा ॥ आतमा । परमातमा ॥ हैं हेय आस्रवभाव सब श्रद्धेय निज प्रिय ध्येय निश्चय ज्ञेय केवल श्रेय निज इस सत्य को पहिचानना ही भावना का ध्रुवधाम की आराधना आराधना का ( 30 ) शुद्धातमा । शुद्धातमा ॥ सार है । है ॥ सार

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