Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 44
________________ देखो नहीं, देखना सहज होने दो; जानो नहीं, जानना सहज होने दो; रमो भी नहीं, जमो भी नहीं, रमना - जमना भी सहज होने दो। सब कुछ सहज, जानना सहज, देखना सहज, जमना सहज, रमना सहज | कर्तृत्व के अहंकार से ही नहीं, विकल्प से भी रहित सहज ज्ञाता-द्रष्टा बन जाओ । - सत्य की खोज, पृ. २०३ X X x X X कुछ करो नहीं, बस होने दो; जो हो रहा है, बस उसे होने दो। फेरफार का विकल्प तोड़ो, सहज ज्ञाता - द्रष्टा बन जाओ । बन क्या जाओ, तुम तो सहज ज्ञाता द्रष्टा ही हो। यह तनाव, यह आकुलता यह व्याकुलता तुम हो ही नहीं । - सत्य की खोज, पृ. २०३ ( ४३ )

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