Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 39
________________ ज्ञेय हूँ जब मैं स्वयं ही ज्ञान हूँ ध्येय हूँ जब मैं स्वयं ही ध्यान हूँ ॥ जब मैं स्वयं ही जब मैं स्वयं ही जब मैं स्वयं आराध्य जब मैं स्वयं आराधना । जब मैं स्वयं ही साध्य हूँ जब मैं स्वयं ही साधना ॥ जब जानना पहिचानना निज साधना ही बोधि है तो सुलभ ही है बोधि की निज तत्त्व को पहिचानना ही भावना का ध्रुवधाम की आराधना आराधना का सार है ॥ ( ३८) आराधना । आराधना ॥ सार है।

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