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इस भेद से अनभिज्ञ ही रहते सदा बहिरातमा । जो जानते इस भेद को वे ही विवेकी यह जानकर पहिचानकर निज में जमे जो वे भव्यजन बन जायेंगे पर्याय में
आतमा ॥ आतमा ।
परमातमा ॥
हैं हेय आस्रवभाव सब श्रद्धेय निज प्रिय ध्येय निश्चय ज्ञेय केवल श्रेय निज इस सत्य को पहिचानना ही भावना का ध्रुवधाम की आराधना
आराधना का
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शुद्धातमा ।
शुद्धातमा ॥
सार है ।
है ॥
सार