Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

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Page 8
________________ १२. श्री वासुपूज्य वन्दना . निज आतमा के भान बिन सुख मानकर रति-राग में। सारा जगत निज जल रहा है वासना की आग में॥ तुम वेद-विरहत वेदविद् जिन वासना से दूर हो। वसुपूज्यसुत वस आप ही सानन्द से भरपूर हो॥ १३. श्री विमलनाथ वन्दना बस आतमा ही बस रहा जिनके विमल श्रद्धान में। निज आतमा बस एक ही नित रहे जिनके ध्यान में॥ सब द्रव्य-गुण-पर्याय जिनके नित्य झलकें ज्ञान में। वे वेद विरहित विमल जिन विचरें हमारे ध्यान में॥ (७)

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