Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana
Author(s): Hukamchand Bharilla
Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur

View full book text
Previous | Next

Page 23
________________ आवे नहीं । पावे नहीं ॥ मंथन करे दिन-रात जल घृत हाथ में रज-रेत पेले रात-दिन पर तेल ज्यों सद्भाग्य बिन ज्यों संपदा मिलती नहीं व्यापार में । निज आतमा के भान बिन त्यों सुख नहीं संसार में || संसार है पर्याय में निज आतमा ध्रुवधाम है। संसार संकटमय संकटमय परन्तु आतमा सुखधाम है ॥ सुखधाम से जो विमुख वह पर्याय ही संसार है। ध्रुवधाम की आराधना आराधना की सार है ॥ ( २२ )

Loading...

Page Navigation
1 ... 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50