Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 4
________________ ४. श्री अभिनन्दननाथ वन्दना निज आतमा को आतमा ही जानना है सरलता। निज आतमा की साधना आराधना है सरलता॥ वैराग्य जननी नन्दनी अभिनन्दनी है सरलता। है साधकों की संगिनी आनन्द जननी सरलता॥ ५. श्री सुमतिनाथ वन्दना हे सर्वदर्शी सुमति जिन! आनन्द के रस कंद हो। हो शक्तियों के संग्रहालय ज्ञान के घनपिण्ड हो॥ निर्लोभ हो निर्दोष हो निष्क्रोध हो निष्काम हो। हो परम-पावन पतित-पावन शौचमय सुखधाम हो। ( ३)Page Navigation
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