Book Title: Jinendra Vandana evam Barah Bhavana Author(s): Hukamchand Bharilla Publisher: Todarmal Granthamala Jaipur View full book textPage 2
________________ जिनेन्द्र वन्दना चौबीसों परिग्रह रहित, चौबीसों जिनराज। वीतराग सर्वज्ञ जिन हितकर सर्व समाज॥ १. श्री आदिनाथ वन्दना श्री आदिनाथ अनादि मिथ्या मोह का मर्दन किया। आनन्दमय ध्रुवधाम निज भगवान का दर्शन किया। निज आतमा को जानकर निज आतमा अपना लिया। निज आतमा में लीन हो निज आतमा को पा लिया। (१)Page Navigation
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